तेरे ऐसे सच्चे आशिक़ है हम दिलमे जिसके प्यार न हो कभी कम सच्चे प्यार में तो ज़िन्दगी महक जाती है ना जाने हमारी आँखे क्यों है नम
रोता वही है जिसने कद्र किया हो सच्चा रिश्ता को मतलब पे रिश्ते रखने वालो को कोई रुला नहीं सकता
तुमको लेकर मेरा ख्याल नही बदलेगा साल बदलेगा मगर दिल का हाल नहीं बदलेगा
जख्म ही देना तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था बे रहम तूने वार क्या वो भी दिल ही वार क्या
बदले हुए लोगो के बारे मैं क्या कहू यारो मैंने अपने ही प्यार को किसी और का होते देखा है
नज़र और नसीब में भी क्या इत्तफ़ाक़ है नज़र उसे ही पसंद करती है जो नसीब में नही होता
कल रात वो शख्स मेरे खवाबो का भी काटल कर गया लोग कितना मुक़ाम रखते है छोड़ जाने के बाद
कितना मुश्किल है मोहब्बत की कहानी लिखना जैसे पानी से पानी पे पानी लिखना
मिलता भी नहीं तुम्हारे जैसे इस शहर में हमको क्या मालूम था के तुम भी किसी और के हो
तुझे पाने की तमन्ना दिल से निकाल दी मैंने मगर आँखों को तेरे इंतज़ार की आदत सी बन गयी है
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