तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी,
नमक भी अदा किया तो ज़ख्मों पर छिड़क कर।
हमने तो बस इतना ही सीखा है दोस्तों,
राह-ए-वफ़ा में कभी किनारा नहीं मिलता,
जो मिल जाये इस राह पर कभी यार से,
वो ज़ख्म कभी फिर दोबारा नहीं सिलता।
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर,
ऐ इश्क़ अब हम तेरे क़ाबिल नहीं रहे।
नए ज़ख्म के लिए तैयार हो जा ऐ दिल,
कुछ लोग प्यार से पेश आ रहे हैं।
सितम सह कर भी कितने ग़म छिपाये हमने,
तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने,
तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला,
तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छुपाये हमने।
आकर जरा देख तेरी खातिर हम किस तरह से जिए,
आँसू के धागे से सीते रहे हम जो जख्म तूने दिए।
नमक भर कर मेरे ज़ख्मों में तुम क्या मुस्कुराते हो,
मेरे ज़ख्मों को देखो मुस्कुराना इस को कहते हैं।
तेरे वजूद की खुशबू बसी है मेरी साँसों में,
ये और बात है कि नजर से दूर रहते हो तुम।
हमसे दूर होकर हमारे पास हो तुम,
हमारी सूनी ज़िन्दगी की आस हो तुम,
कौन कहता है हमसे बिछड़ गए हो तुम,
हमारी यादों में हमारे साथ हो तुम।
तेरे लिए खुद को मजबूर कर लिया,
ज़ख्मों को हमने अपने नासूर कर लिया,
मेरे दिल में क्या था ये जाने बिना,
तू ने खुद को हमसे कितना दूर कर लिया।
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